Gentus Capsules & Patharchata Juice Combo

2,700.00 - 3,000.00 / Bottle

50 Box (MOQ)

Business Type Exporter, Supplier, Retailer, Wholesaler, Distributor, Importer, Buying House
Color Green
Form Capsules
Speciality Long Shelf Life, Good Quality
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Preferred Buyer From

Location Worldwide

Product Details

Certification
ISO-9001: 2008 Certified
Grade Standard
Aayurvedik
Packaging Type
Plastic Bottle
Shelf Life
5Years
Country of Origin
Worldwide
Manufacturer By
True Grocery 13
Medicine Type
Ayurvedic

पहले जो रोग बुढ़ापे के लक्षण माने जाते थे वो सभी आजकल युवावस्था में ही लोगों को अपना शिकार बनाते जा रहे हैं। इन्हीं में से एक है किडनी में पथरी होने की समस्या। जाहिर है ऐसा होने में कहीं न कहीं हमारी गलत दिनचर्या और खानपान जिम्मेदार है। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार बताते हैं कि हमारे यूरिन में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर में स्टोन बनने से रोकते हैं।

 

 

ये तत्व हैं साइट्रेट, विटामिन बी 6, मैग्नीशियम आदि। जिन लोगों में ये तत्व कम मात्रा में या नहीं होते है, उनमें स्टोन बनने की आशका बढ़ जाती है। आयुर्वेद के ग्रंथों में लगभग 5000 वर्ष पूर्व से ही किडनी स्टोन यानी वृक्क अश्मरी का वर्णन मिलता है और इसकी सफलतापूर्वक चिकित्सा के लिए औषधियों के साथ साथ शल्य चिकित्सा का भी उल्लेख है।

 

इन लक्षणों से पथरी का पता चलता है : पेट में किडनी के पास वाले हिस्से में असहनीय दर्द होना। पेशाब करते समय दर्द एवं जलन होना। पेशाब का पीला होना। यूरिन में बहुत बदबू होना साथ ही खून आना। उलटी जैसा लगना।

 

 

क्या करें की पथरी न हो : आयुर्वेद का मूलभूत सिद्धात है कि रोग को होने ही न दिया जाए।

 

 

इसके लिए निम्न उपायों द्वारा स्टोन को बनने से रोका जा सकता है : टमाटर, चुकंदर, अमरुद या पालक कम मात्रा में खाएं। रेड मीट यानी बकरे और अन्य बड़े जानवरों का मास खाना छोड़ दें या फिर बिल्कुल कम खाएं। अगर बहुत इच्छा हो तो महीने में एक-दो बार से ज्यादा न खाएं। रोजाना कम-से-कम 9-10 गिलास पानी पिएं। बीज वाली चीजों का सेवन कम मात्रा में करें।

 

क्या है आयुर्वेद में इलाज : किडनी स्टोन का बेहतर इलाज केवल आयुर्वेद में संभव है। खास बात यह कि बड़े बड़े यूरोलोजिस्ट भी इस बीमारी में आयुर्वेद की दवाओं से इलाज करते हैं। सामान्य रूप से 10 एमएम तक की स्टोन का इलाज औषधियों से आसानी से हो जाता है लेकिन स्टोन का साइज इससे बड़ा हो तो शल्य क्रिया द्वारा निकाल देना चाहिए। किडनी की पथरी के इलाज के लिए आयुर्वेद में पाषाणभेद या पथरचट नाम के पौधे के 5-6 पत्ते आधा गिलास पानी में उबाल कर सुबह-शाम पीने से लाभ बताया गया है। वरुणादि क्वाथ, गोक्षुरादि गुग्गुल, पुनर्नवा क्वाथ आदि दवाएं भी बहुत कारगर है। गोक्षरू, तृणपंचमूल, पुनर्नवा आदि औषधियों के द्वारा इसमें लाभ मिलता है। इसके साथ ही कुलथी की दाल भी कि डनी में स्टोन की समस्या को दूर करने में कारगर है। मगर ये सभी दवाएं आयुर्वेद     

है। Gentus and Patharchtta Juice

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